नेपालगञ्जका उर्दु गजलकार स्व. मोहम्मद उमर फारुकी आदिलको गजल
मोहब्बत गर्चे हो वेलवस फिर तो कम नही होती
ये ओ शोला है जिसकी लब कभी मधम नही होती
मजा कुछ भी नमिलता जीन्दगीमे ऐश व राहतका
खुशीके साथ दुनियामे अगर चे गम नही होती
न जलता असिय अपना धुवा उठता न खीरमन से
निगाहे दोस्त जो हमसे अगर बरहम नही होती
भरोसा मत करो “आदिल” किसि पर इस जमानेसे
ये दुनिया गम तो देति है, सरिके गम नहि होती
गर्चे (यदि), बेलवस(बिनालोभ), असिय (फुसको छाप्रो ) , खिरमन (आवास), बरहम (रिसाउनु) , सरिके (साथी),
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